अचल भार, चल भार, भूकंप तथा जलधाराजन्य क्षैतिज वलों, गाड़ियों, भूकंपों और वायु बलों इत्यादि से यह प्रतिबल उत्पन्न होता है।
3.
कठोर इस्पात का अभयांक स्थिर भार में तीन तथा चल भार में पाँच से आठ और प्रत्यावर्ती चल भार में नौ से 13 तक होता है।
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कठोर इस्पात का अभयांक स्थिर भार में तीन तथा चल भार में पाँच से आठ और प्रत्यावर्ती चल भार में नौ से 13 तक होता है।
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कठोर इस्पात का अभयांक स्थिर भार में तीन तथा चल भार में पाँच से आठ और प्रत्यावर्ती चल भार में नौ से 13 तक होता है।
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कठोर इस्पात का अभयांक स्थिर भार में तीन तथा चल भार में पाँच से आठ और प्रत्यावर्ती चल भार में नौ से 13 तक होता है।
7.
संरचित ढाँचों में धरनों तथा गर्डरों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि उन्हीं पर चौरस छतों, पुलों, गैंट्रियों तथा शिरोपरिधावन पथों आदि के स्थिर, चर और चल भार लादे जाते हैं।
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संरचित ढाँचों में धरनों तथा गर्डरों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि उन्हीं पर चौरस छतों, पुलों, गैंट्रियों तथा शिरोपरिधावन पथों आदि के स्थिर, चर और चल भार लादे जाते हैं।
9.
सभी ऊर्ध्वाधर दीवारों तथा ढालू छतों पर बगल से चलनेवाली हवा के कारण जो ऊर्ध्वाधर दाब पड़ती है, वह वायु दाब (wind pressure) कहलाती है, और यह चल भार (live load) की गिनती में आती है।
10.
इनमें चल भार की अपेक्षा वायु के कारण कहीं अधिक दोलन उत्पन्न होता हैं टैकोमा, वाशिंगटन, का २,८०० फुट पाट का “नैरोज' नामक पुल १९८० ई० में बनकर पूरा होने के बाद वायु द्वारा उत्पन्न दोलन के कारण शीघ्र ही टूट गया।